अक्सर तन्हा रातों में ये जगने लगा है आजकल। अक्सर तन्हा रातों में ये जगने लगा है आजकल।
हम सँभल गए ,पता नहीं है आजकल।। पर ये भी कोई ख़ता नहीं है आजकल।। हम सँभल गए ,पता नहीं है आजकल।। पर ये भी कोई ख़ता नहीं है आजकल।।
मतलबी इश्क़ है मतलबी आशिकी प्यार तो अब अजय सिर्फ़ उपहास है। मतलबी इश्क़ है मतलबी आशिकी प्यार तो अब अजय सिर्फ़ उपहास है।
फिर क्यूं ये रिश्ता मरणासन्न की ओर बढ़ रहा है। फिर क्यूं ये रिश्ता मरणासन्न की ओर बढ़ रहा है।
प्रिय तुम्हारे मन में बसी हुई हूं इतना तुम निभा जाओ प्रिय तुम्हारे मन में बसी हुई हूं इतना तुम निभा जाओ
फिर भी हर पल हर लम्हा कुछ याद दिलाती जिन्दगी। फिर भी हर पल हर लम्हा कुछ याद दिलाती जिन्दगी।